तप त्याग की मूर्त रूप मुनि अभय से बहुत बडा खालीपन हो गया है: हरपाल सिंह चीमा

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Muni Abhay, the embodiment of austerity and renunciation

कहा संत मुनिजन कभी दुनियां से नही जाते

चंडीगढ, 10 नवंबर: Muni Abhay, the embodiment of austerity and renunciation: पंजाब के वित्तमंत्री हरपाल सिंह चीमा ने आज मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक से दर्शन लाभ प्राप्त किया। इस दौरान पुरानी स्मृतियों को याद करते हुए वित्तमंत्री ने कहा जब मुझे अभय मुनि के देवलोक का समाचार मिला तो मै एकदम से जहां खडा था सुन्न सा वही खडा रह गया और पुरानी स्मृतियों मे खो गया जब भी उनसे दर्शन लाभ की इच्छा होती तो सहज ही मिलने चला आता लेकिन अब उनके चले जाने से बहुत बडा खालीपन हो गया। श्री चीमा ने आगे कहा संत मुनिजन कभी दुनियां से नही जाते बल्कि जब तक दुनिया रहती है तब तक उनकी शिक्षाएं  व स्मृतियां जिंदा रहती है।

संसार का सबसे बडा सत्य है मरना:  मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक

इस दौरान मनीषीसंतमुनिश्रीविनयकुमारजीआलोक ने फरमाया इस संसार का सबसे बडा सत्य है संसार से सभी ने जाना है और जीना झूठ है, संसार के सभी जीव पदानुक्रम व्यवस्था के अंतर्गत स्थित हैं। संसार का सबसे बड़ा सत्य यही है। संसार में सबके सामने सबसे बड़ा सवाल यही रहता है कि पदानुक्रम व्यवस्था में वह इस समय किस पायदान पर है। यही प्रश्न सभी जीवों को गतिशील रखता है और यही प्रश्न हर किसी को सबसे अधिक व्यथित भी करता है। इस विषय पर बहस करना बेकार है कि यह व्यवस्था गलत है या सही। इसका विकल्प क्या है? जिन लोगों के लिए मुक्ति जीवन का परम उद्देश्य नहीं है, उनके सामने न तो अध्यात्म का कोई मतलब है और न ही इस सवाल का कि पदानुक्रम व्यवस्था से वे कैसे बाहर निकल सकते हैं?

मुक्ति हमेशा ऐसे विरले व्यक्तियों का जीवनोद्देश्य रहा है, जो पदानुक्रम व्यवस्था से बाहर निकल सकने का हौसला रखते हैं। हम इस यथार्थ को स्वीकार करके चलते हैं कि हमें फिलहाल इसी संसार में जीना है और पदानुक्रम व्यवस्था के अंदर रहते हुए काम करना है। क्योंकि जब तक स्वयं ब्रह्म- तुल्य कोई आत्मा इस संसार का प्रत्यक्ष नियंत्रण अपने हाथ में नहीं ले लेती, तब तक पदानुक्रम व्यवस्था इस संसार का सबसे बड़ा नियामक तत्व रहने वाली है। लेकिन जब कभी ऐसा हो सकेगा, तब यह संसार, संसार नहीं रहेगा, बल्कि अध्यात्म लोक बन जाएगा। इस व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण चरित्र है, ‘अपने से कमजोर पर नियंत्रण रखना, अपने से अधिक शक्तिशाली को खुश रखना और अपने समकक्ष को प्रतियोगिता में पीछे रखना।’ इस सूत्र को आजमाने में जो जितना सफल है, वह पदानुक्रम व्यवस्था में उतना ही वरिष्ठ है।

स्वास्थ्य, समृद्धि और ज्ञान का सतत विकास करते रहना चाहिए: अतुल  मुनि जी

अतुल  मुनि जी ने फरमाया कि आपको अपने स्वास्थ्य, समृद्धि और ज्ञान का सतत विकास करते रहना चाहिए। यही तीन ऐसे मूल साधन हैं, जिनके माध्यम से आप इस प्रतियोगिता में टिके रह सकते हैं। यदि इन तीनों साधनों के प्रबंधन में आप अकुशल हैं, तो फिर आप बहुत आगे नहीं जा सकेंगे। प्रतियोगिता और पदानुक्रम की इस होड़ में आप चाहे जितने सफल हो जाएं, उसका स्थायित्व अंतत: इस बात पर निर्भर करेगा कि आपका चरित्र कैसा है और दूसरे लोगों के मन में आपकी छवि कैसी है? बेशक प्रतियोगिता की होड़ में उतर कर व्यक्ति आगे बढऩे का प्रयास करे।